दूरदर्शन पर जब रामायण आती थी
तो
पत्नी में मंथरा sma जाती थी
और तब
जब महाभारत चलने लगी थी
तो उसमे शकुनी की आत्मा निवास करने लगी थी
यह दोनों सीरियल चलते ही पता नहीं क्या हो जाता था
वैह चंडी का रूप हो जाती थी और उसका विवेक सो जाता था
फिर घर में द्वन्द चलता था
बन्ध चलता था
पर्त्येक वस्तु पर प्रतिबन्ध चलता था
और बचों पर भी डंडा पर्चंड चलता tha
मैंने कई बार सोचा
की बिदुर बन कर इस समस्या का समाधान धुन्दू
परन्तु हर बार पितामाह अड़े आते रहे
क्या करूँ वैह भी तो कलयुग के पितामाह हैं
आजीवन कुंवारे नहीं शादी शुदा हैं
फिर मैंने दूरदर्शन वालों से विनती के
की भाई तुम्ही तरस खाओ
बंद कर दो यह सीरियल
और मेरी बीवी को बचाओ
दूरदर्शन वाले यह सुनते ही भड़क उठे
फिर बोले
अरे भाड़ में जाये तुम्हारी बीवी
तुम्हारी अदद एक बीवी के लिए
क्या हम अपना लाखों का धन्दा बंद कर दें
हमें क्या लेना
तुम्ही अपना टीवी बेच दो
या फिर बीवी ही और खरीद लेना
२
पत्नी गुर्रा रही थी
तडपा रही थी
और मुझे कंजूस बता रही थी
अरे में तो फंस गई हूँ
तुम्हारे साथ कंजूसी की दलदल में धंस गई हूँ
२५ साल हुए हमारी शादी को
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